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💔 मैं सबके लिए हूँ , पर कोई मेरा नहीं होता...

🥀🥀 कभी-कभी लगता है, मैं सबकी जरूरत हूँ, पर किसी की आदत नहीं।  जब किसी को मेरी जरूरत होती है, तो मैं हर हाल में उनके साथ होती हूं - बिना सवाल, बिना किसी शर्त।, लेकिन जब मुझे किसी की जरूरत होती है, तो लोग साथ तो होते हैं... मगर साथ होकर भी साथ नहीं होते।,😔 लोगों को अपना छोटा दुःख भी पहाड़ लगता है,, और दूसरों का बड़ा दुःख भी... बस एक बात।, कभी कोई नहीं पूछता - तुम ठीक हो ना ? जैसे मेरा दुःख , मेरी थकान, मेरा अकेलापन - कोई मायने ही नहीं रखता।,🥺 मैं अक्सर मुस्कुराती हूं... क्योंकि मुझे रोते हुए देखना कोई नहीं चाहता।, और जब सच में टूट जाती हूँ, तब यही लोग कहते हैं : तुम तो strong हो, ना!😥 पर मेरा strong होना , मेरी choice नहीं,  मजबूरी है... क्योंकि मेरा दर्द  सुनने वाला कोई नहीं होता।, मैं सबके लिए हूँ... पर कोई मेरा नहीं होता। शायद इसलिए  अब खुद से बातें करना, सबसे सच्चा साथ लगता है।।, 🌼🌿😊                                            Neha kariyaal..✍️

🌙 मैं कौन हूँ ?

🌙 मैं कौन हूँ? — एक चुलबुली की पहली चुप्पी मैं कोई बड़ी लेखिका नहीं हूँ, न ही कोई विचारों की ज्ञानी। मैं बस एक लड़की हूँ — जो कभी मुस्कराकर सब कुछ छुपा लेती है, और कभी एक सवाल में पूरी दुनिया उधेड़ देती है।   🤔 लोग मुझसे पूछते हैं — "तुम इतनी सोचती क्यों हो?" मैं मुस्करा देती हूँ। क्योंकि अगर मैं ना सोचूँ, तो शायद मैं वो रह जाऊँ जो दुनिया मुझे बनाना चाहती है — ना कि जो मैं खुद हूँ। 💔 मैं कौन हूँ? मैं वो लड़की हूँ — जिसे किताबों से ज़्यादा खामोशियों के पन्ने पढ़ने आते हैं। मैं तर्क करती हूँ, पर गहराई में कहीं भावनाएँ भी जिंदा रखती हूँ। मैं भरोसा करती हूँ, पर बार-बार टूटी हूँ — फिर भी खुद को दोबारा जोड़ा है, हर बार थोड़ी और सच्ची बनकर।  🌞 मेरी सोच.. मैं सिर्फ़ अपने सच के सामने झुकती हूँ। मुझे प्रेम की परिभाषाएँ नहीं आतीं, मगर दर्द के रंग पहचानती हूँ। मैं कभी एक कहानी बन जाती हूँ, तो कभी किसी कविता की अधूरी पंक्ति।  💕 तो मैं कौन हूँ?  > मैं वो हूँ, जो किसी किताब में नहीं मिलती। मैं वो हूँ, जो हर लड़की के अंदर कहीं चुपचाप सांस लेती है - पर अक्सर खुद को ही समझ नही...